ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग करना भी है एक मानसिक बीमारी

ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग करना भी है  एक मानसिक बीमारी

सेहतराग टीम

आज के बदलते दौर में काफी कुछ बदल गया है, लोग अपनी डे टू डे लाइफ में नई-नई चीजों को फॉलो कर रहे हैं। जैसे अब लोगों के शॉपिंग करने का तरीका बदल गया है। जैसे अब लोग बाहर मार्केट शॉपिंग करने की बजाय ऑनलाइन शॉपिंग को ज्यादा प्रेफर करते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग को प्रेफर करने के पीछे भी कई वजह हो सकती हैं, जैसे ऐसा लोग इसलिए करते हैं कि ताकि उनका समय बच सके या ऑनलाइन शॉपिंग में अच्छे ऑफर्स मिलने की वजह से भी करते हैं। क्योंकि आज के समय ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, या फिर कोई भी ऑनलाइन शॉपिंग जैसी वेबसाइट अपने कस्टमर को अट्रैक्ट करने के लिए अच्छे ऑफर्स दे रही हैं चाहे वह फेस्टिव सीजन हो या ऑफ सीजन इन वेबसाइट पर अच्छे ऑफर्स मिलरहे होते हैं। कुछ लोग जहां कभी-कभार ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं। वहीं, ऐसे लोगों की संख्या भी अच्छी खासी है जिनके लिए ऑनलाइन शॉपिंग करना एक आदत और लत बन चुकी है। एक्सपर्ट्स की मानें तो ऑनलाइन शॉपिंग की यही लत एक तरह की मानसिक बीमारी है।

शायद ये जानकार आपको यकीन न हो लेकिन बड़ी संख्या में लोग इस ऑनलाइन शॉपिंग की लत से छुटकारा पाने के लिए ट्रीटमेंट भी ले रहे हैं। एक प्रयोग किया गया जिसमे 122 लोगों की जांच की गयी और पाया गया कि 34 फीसदी लोग ऑनलाइन शॉपिंग से हद से ज्यादा एडिक्ट थे। जिस वजह से उनमें ऐंग्जाइटी यानी बेचैनी और डिप्रेशन के लक्षण भी नजर आ रहे थे। जर्मनी के हैनोवर मेडिकल स्कूल के अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो अब समय आ गया है जब बायइंग शॉपिंग डिसऑर्डर यानी BSD को अलग से क्लासीफाई किया जाए। साथ ही इसे एक अलग मेंटल हेल्थ कंडिशन मानकर इसके बारे में और जानकारी इक्ट्ठा की जाए।

20 में 1 व्यक्ति को है बीएसडी-

कॉम्प्रिहेंसिव साइकायट्री नाम के जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, विकसित देशों में करीब 5 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्हें बायइंग शॉपिंग डिसऑर्डर यानी BSD की बीमारी है। दुनियाभर में हर 20 में से 1 व्यक्ति इससे प्रभावित है। इनमें से हर 3 में 1 व्यक्ति को ऑनलाइन शॉपिंग की लत लग चुकी है। अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो, बीएसडी से पीड़ित व्यक्ति को शॉपिंग करने की तीव्र इच्छा होने लग जाती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जितना अफोर्ड कर सकता है उससे भी ज्यादा की खरीददारी करने लगता है। इस वजह से व्यक्ति को तंगी हो जाती है, परिवार में समस्याएं होने लगती है और घर में बेवजह का सामान भी इक्कठा होने लगता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स को और रिसर्च की जरूरत-

इस रिसर्च के अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि इस रिसर्च के बाद मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स बेहतर तरीके से बीएसडी की इस स्थिति के बारे में और अच्छे से आंकड़े इक्कठा कर पाएगें। वहीं हालांकि अभी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन WHO ने ऑनलाइन शॉपिंग को मेंटल हैल्थ की श्रेणी में नहीं रखा है, लेकिन इसके पहले विडियो गेम अडिक्शन और गैम्ब्लिंग यानी जुआ खेलने को इस श्रेणी में रखा जा चुका है।

 

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